सब्र कर जरा ,,,,,ए दिल ख़ुशी का पहर भी आएगा,,,,,,
ढूँढ़ता रहा तू जिसको,,,,, उसका शहर भी आएगा,,
***
रिश्तों को अल्फाजो का मोहताज ना बनाइये ..
अगर अपना कोई खामोश हैं तो
खुद ही आवाज लगाइये ..!! ✍🏻
***
"मुस्कुराहटें" तो...कई "खरीदी" थी.....
पर "चेहरे" पर...कोई "जंची" ही नहीं.......💔
***
चेहरे की हंसी,को दिल की खुशी समझ लेते हैं लोग...💕💕
काश ! कुछ पल रुककर किसी ने दिल का हाल भी समझा होता ...
***
ज़िंदगी से सिकवा नही की उसने गम का आदि बना दिया
गिला तो उनसे हैं जिन्होंने रोशनी की उम्मीद दिखा के दिया ही बुझा दिया
***
जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिब....
अब धुएँ पर बहस कैसी और राख पर ऐतराज कैसा !!
***
किस तरह से मुझसे है तेरी याद को हमदर्दी,
देखती है मुझे तन्हा तो चली आती है....
***
तुम्हारे एक लम्हे पर भी मेरा हक नहीं ,
न जाने तुम किस हक से मेरे हर लम्हे में शामिल हो!
***
मेहँदी हो या मोहब्बत बात एक ही है......
जतन कितना भी करो एक दिन फ़ीकी हो ही जाती है.....
***
कितनी अजीब बात है ना, दुनिया तो एक ही है...!
फिर भी.... सबकी अलग है...!
***
भाग जाते हैं छोड़कर कुदरत के हवाले,,
गजब का ढोंग करते हैं सच्चा प्यार करने वाले ।।
***
तुमसे उभर कर तुम में ही फिर डूबने का मन है
एक बार फिर इश्क़ से उलझने का मन है.....
***
आज उस हद तक सिर्फ दर्द ही दर्द है,
जिस हद तक तुमसे मोहब्बत की थी !!
***
लफ़्ज, अल्फ़ाज, कागज़ और किताब,
कहाँ कहाँ नही रखता मैं तेरी यादों का हिसाब.
***
ना कोई शिकवा ना कोई गिला ना कोई मलाल रहा
सितम तेरे भी बेहिसाब रहे सब्र मेरा भी कमाल रहा
***
एक बूँद आँसू कोरे कागज पर गिरा,
और, अधूरा खत मुकम्मल हो गया
***
जिंदगी के उतार चढाव के बावजूद भी जो आपका साथ न छोड़े,
वही आपकी सही मायने मे कद्र करता है बाकी तो बस नाम के रिश्ते है...!!
***
तुम आवो महफिल मे इंतजार कर रहे है
तेरी शान मे कुछ अल्फाज पढने है
***
मोहब्बत सब्र के सिवा कुछ नहीं,
मैंने हर इश्क को इन्तेजार करते देखा है !!
***
टुकड़े पड़े थे राह में किसी हसीना की तस्वीर के,
लगता है कोई दीवाना आज समझदार हो गया..
***
मुझे फिर तबाह कर मुझे फिर रुला जा,
सितम करने वाले कहीं से तू आजा,
आँखों में तेरी ही सूरत बसी है,
तेरी ही तरह तेरा ग़म भी हंसीं है..!!
***
शहर के हर शख्स ने वसीयत में शराफ़त पाई है।
हैरान हूँ मैं सोचकर फिर बेईमानी कहां से आई है।
***
फिसलती रेत से, सीख लो सबक जिन्दगी के
जोर अपनी जगह होता है और नजाकत अपनी जगह
ढूँढ़ता रहा तू जिसको,,,,, उसका शहर भी आएगा,,
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रिश्तों को अल्फाजो का मोहताज ना बनाइये ..
अगर अपना कोई खामोश हैं तो
खुद ही आवाज लगाइये ..!! ✍🏻
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"मुस्कुराहटें" तो...कई "खरीदी" थी.....
पर "चेहरे" पर...कोई "जंची" ही नहीं.......💔
***
चेहरे की हंसी,को दिल की खुशी समझ लेते हैं लोग...💕💕
काश ! कुछ पल रुककर किसी ने दिल का हाल भी समझा होता ...
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ज़िंदगी से सिकवा नही की उसने गम का आदि बना दिया
गिला तो उनसे हैं जिन्होंने रोशनी की उम्मीद दिखा के दिया ही बुझा दिया
***
जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिब....
अब धुएँ पर बहस कैसी और राख पर ऐतराज कैसा !!
***
किस तरह से मुझसे है तेरी याद को हमदर्दी,
देखती है मुझे तन्हा तो चली आती है....
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तुम्हारे एक लम्हे पर भी मेरा हक नहीं ,
न जाने तुम किस हक से मेरे हर लम्हे में शामिल हो!
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मेहँदी हो या मोहब्बत बात एक ही है......
जतन कितना भी करो एक दिन फ़ीकी हो ही जाती है.....
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कितनी अजीब बात है ना, दुनिया तो एक ही है...!
फिर भी.... सबकी अलग है...!
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भाग जाते हैं छोड़कर कुदरत के हवाले,,
गजब का ढोंग करते हैं सच्चा प्यार करने वाले ।।
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तुमसे उभर कर तुम में ही फिर डूबने का मन है
एक बार फिर इश्क़ से उलझने का मन है.....
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आज उस हद तक सिर्फ दर्द ही दर्द है,
जिस हद तक तुमसे मोहब्बत की थी !!
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लफ़्ज, अल्फ़ाज, कागज़ और किताब,
कहाँ कहाँ नही रखता मैं तेरी यादों का हिसाब.
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ना कोई शिकवा ना कोई गिला ना कोई मलाल रहा
सितम तेरे भी बेहिसाब रहे सब्र मेरा भी कमाल रहा
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एक बूँद आँसू कोरे कागज पर गिरा,
और, अधूरा खत मुकम्मल हो गया
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जिंदगी के उतार चढाव के बावजूद भी जो आपका साथ न छोड़े,
वही आपकी सही मायने मे कद्र करता है बाकी तो बस नाम के रिश्ते है...!!
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तुम आवो महफिल मे इंतजार कर रहे है
तेरी शान मे कुछ अल्फाज पढने है
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मोहब्बत सब्र के सिवा कुछ नहीं,
मैंने हर इश्क को इन्तेजार करते देखा है !!
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टुकड़े पड़े थे राह में किसी हसीना की तस्वीर के,
लगता है कोई दीवाना आज समझदार हो गया..
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मुझे फिर तबाह कर मुझे फिर रुला जा,
सितम करने वाले कहीं से तू आजा,
आँखों में तेरी ही सूरत बसी है,
तेरी ही तरह तेरा ग़म भी हंसीं है..!!
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शहर के हर शख्स ने वसीयत में शराफ़त पाई है।
हैरान हूँ मैं सोचकर फिर बेईमानी कहां से आई है।
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फिसलती रेत से, सीख लो सबक जिन्दगी के
जोर अपनी जगह होता है और नजाकत अपनी जगह