~~~~~~ग़ज़ल~~~~~~
वक्त अपना अब बर्बाद ना कर
भूल जा दिल उसे याद ना कर
ये अंन्धे बहरों की ही बस्ती है
इसमें अपनी फ़रियाद ना कर
तेरी तस्वीर के सिवा होगा क्या
मेरे दिल को यूं ईजाद ना कर
गुलाम रहने की आदत है मेरी
अपनी यादों तू आजाद ना कर
समझ सके तो समझ ले सीधी
मेरी कहानी में तू संवाद ना कर
वक्त अपना अब बर्बाद ना कर
भूल जा दिल उसे याद ना कर
ये अंन्धे बहरों की ही बस्ती है
इसमें अपनी फ़रियाद ना कर
तेरी तस्वीर के सिवा होगा क्या
मेरे दिल को यूं ईजाद ना कर
गुलाम रहने की आदत है मेरी
अपनी यादों तू आजाद ना कर
समझ सके तो समझ ले सीधी
मेरी कहानी में तू संवाद ना कर
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